क्यों फूल खिलना भूल गए हैं, क्यों हवाओं मेंं अमनेपन की खूशबू नहीं क्यों फूल खिलना भूल गए हैं, क्यों हवाओं मेंं अमनेपन की खूशबू नहीं
इस दौड़ते भागते जिंदगी में हम मूल को भूलते जा रहे है। हमारे अपनों से होती दूरी को संजीदे तरीके से पेश... इस दौड़ते भागते जिंदगी में हम मूल को भूलते जा रहे है। हमारे अपनों से होती दूरी को...
हाय रे प्रभु क्यों आया ये कलयुग? हाथों में धोखे लाया ये कलयुग, हाय रे प्रभु क्यों आया ये कलयुग? हाथों में धोखे लाया ये कलयुग,
कहीं दिन तो कहीं अंधकार कैसे होता है मैं सोचता हूं अक्सर ये संसार कैसे होता है। कहीं दिन तो कहीं अंधकार कैसे होता है मैं सोचता हूं अक्सर ये संसार कैसे होता...
जाने क्यों.... जाने क्यों....
ये लंगोटधारी ये लंगोटधारी